बड़े घर की बेटी
बड़े घर की बेटी (ICSE class 10)
चरित्र चित्रण
(क) बेनीमाधव सिंह: बेनीमाधव सिंह गाँव के ज़मींदार और नंबरदार थे। वह एक अनुभवी व्यक्ति थे। उनके दो पुत्र थे। बड़े पुत्र का नाम श्रीकंठ सिंह था और छोटे पुत्र का नाम लालबिहारी सिंह था। उनका मानना था कि स्त्रियों का मर्दों से मूँह लगना अच्छी बात नहीं और स्त्रियाँ ही घर का नाश करतीं हैं।
(ख) श्रीकंठ सिंह: श्रीकंठ सिंह बेनीमाधव सिंह के बड़े पुत्र थे। उनका एक छोटा भाई था जिसका नाम लालबिहारी सिंह था। उनकी पत्नी का नाम आनंदी था। उन्होंने बहुत परिश्रम के बाद बी.ए. की डिग्री प्राप्त की थी जिस कारण उनका शरीर दुर्बल और चेहरा कांतिहीन हो गया था। उनकी संस्कृति का प्रधान अंग पश्चिम सभ्यता कि निंदा करना था। उन्हें अपनी संस्कृति पर बहुत गर्व था और वह हर वर्ष रामलीला में भाग लेते थे और स्वयं किसी न किसी पात्र का अभिनय करते थे।
(ग) लालबिहारी सिंह: लालबिहारी सिंह बेनीमाधव सिंह का छोटा पुत्र और श्रीकंठ सिंह का छोटा भाई था। वह गठीले बदन का सजीला नौजवान था। भरी हुई छाती, चौढ़ा मुखड़ा एवं सारे नेत्र्प्रिये गुड़ उसमे विद्यमान थे। वह उज्जड और अनपढ़ था। वह अत्यंत अभिमानी था और उसे स्त्रियों के बात करने की तमीज नहीं थी। वह अपने बड़े भाई का बहुत आदर करता था।
(घ) आनंदी: आनंदी श्रीकंठ सिंह की पत्नी थी। उसके पिता का नाम ठाकुर भूपसिंह था। वह अपनी सारी बहनों मे सबसे अधिक रूपवती व गुणवती थी। वह बहुत विशाल ह्रदय की थी। बड़े घर की बेटी होने के कारण उसे किफ़ायत का अर्थ नहीं मालूम था। मैके कि निंदा सुनने पर वह क्रोधित हो गयी थी।
(अं) ठाकुर भूपसिंह: ठाकुर भूपसिंह आनंदी के पिता थे। वह एक छोटी सी रियासत के तालुक्केदार थे। विशाल भवन, एक हाथी, तीन कुत्ते, झाड़-फानूस,आनरेरी मजिस्ट्रेट और ऋण, जो एक प्रतिष्ठित ताल्लुकेदार के योग्य पदार्थ हैं, सभी वहाँ विद्यमान थे। वह बहुत उदारचित्त और प्रतिभाशाली पुरुष थे। उनकी चार लड़कियाँ थीं। वह अपनी चौथी व सबसे अधिक रूपवती और गुणवती पुत्री आनंदी से सबसे अधिक प्रेम करते थे। वह बहुत ही उदार-चित्त और प्रतिभाशाली पुरुष थे।
शीर्षक की सार्थकता
प्रेमचंद जी द्वारा लिखित कहानी "बड़े घर की बेटी" का शीर्षक इसलिए सार्थक है क्यूंकि यह कहानी आनंदी के इर्द-गिर्द घूमती है जो कि एक बड़े घर कि बेटी है। बड़े घर की बेटी से प्रेमचंद जी का यह तात्पर्य है की वह एक बड़े ह्रदय की थी। भले ही वह अपने देवर लालबिहारी द्वारा की गयी बदतमीज़ी के कारण उससे क्रोधित थी परंतु जब उससे लालबिहारी ने घर छोड़कर जाने की बात की तब उसका क्रोध शांत हो गया और अपने घर को टूटने से बचाने के लिए श्रीकंठ सिंह के समक्ष अपनी ग्लानी प्रदर्शित की और अपने प्रतिष्ठित परिवार को टूटने से बचा लिया। इस तरह कहानी का शीर्षक सार्थक है।
अभ्यास के लिए प्रश्न 👇
प्र१) श्रीकंठ सिंह की प्रकृति का प्रधान अंग क्या था?
प्र२) नेत्रप्रिय गुण क्या थे और वह किसमे थे?
प्र३) ठाकुर भूपसिंह की परेशानी का क्या कारण था?
प्र४) ठाकुर भूपसिंह ने आनंदी का किसके साथ करने का निश्चय किया? यह निश्चय उन्होंने कब किया?
प्र५) आनंदी जब अपनी ससुराल आई तब उसने क्या देखा?
प्र६) "स्त्रियाँ गाली सह लेतीं हैं, मार भी सह लेतीं हैं", परंतु प्रेमचंद जी के अनुसार स्त्रियाँ क्या नहीं सह सकतीं?
प्र७) लालबिहारी ने आनंदी को किससे और क्यूँ मारा? इससे उसके चरित्र की क्या विशेषता सामने आती है?
प्र८) आनंदी पर हुए दुर्व्यवहार के बारे में जानकर श्रीकंठ सिंह की क्या प्रतिक्रिया हुई?
प्र९) लालबिहारी की अपने बड़े भाई की बात सुनकर क्या प्रतिक्रिया हुई?
प्र१०) आनंदी को कब ग्लानी हुई? किस प्रकार उसने अपना घर टूटने से बचा लिया? उसके बाद पूरे गाँव में कौन सा वृतांत प्रचलित हुआ?
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